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 प्रद्युम्न का जन्म।  स्यमंतक मणि की कथा।  स्यमंतक हरण।  कृष्ण के अन्यान्य विवाह।  भौमासुर का उद्धार 16100,।  कृष्ण रुक्मणी संवाद।  संतति वर्णन ,अनिरुद्ध विवाह।  उषा अनिरुद्ध मिलन।  भगवान श्री कृष्ण के साथ बाणासुर का युद्ध।  नृग राज की कथा।  बलराम जी का ब्रज का गमन।

वेद स्तुति 22

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जो ऐश्वर्य, लक्ष्मी, विद्या, जाति,तपस्या आदि के घमंड से रहित है, वे संतपुरुष इस पृथ्वीतलपर परम पवित्र और सब को पवित्र करने वाले पुण्य मय सच्चे तीर्थ स्थान है। क्योंकि उनके हृदय में आपके चरणअरविंद सर्वदा विराजमान रहते हैं और यही कारण है कि उन संत पुरुषों का चरणामृत समस्त पापों और तापो को सदा के लिए नष्ट कर देने वाला है। भगवन! आप नित्यानंदस्वरूप आत्मा ही है। जो एक बार भी आपको अपना मन समर्पित कर देते हैं- आपमें मन लगा देते हैं-वह उन देह- गेहों में कभी नहीं फंसते जो जीव के विवेक, वैराग्य, धैर्य, क्षमा और शांति आदि गुणों का नाश करने वाले हैं। वह तो बस, आप में ही रम जाते हैं।

65. बलरामजी व्रजमे कहानी

64. नृगराज की कहानी

63. बाणासुर की कहानी

62. उषा अनिरूद्ध कहानी

61. संतति वर्णन, अनिरुद्ध विवाह

60. रूक्मणी संवाद

59. भौमा सुर उद्धार

56स्यमंतक मणि कहानी

58. अन्यान्य विवाह कहानी